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Tuesday, January 25, 2011

प्रजासत्ताक दिन का सुनहरा अवसर

नमामि मातु भारती!



हिमाद्रि-तुंग-शृंगिनी
त्रिरंग-अंग-रंगिनी
नमामि मातु भारती
सहस्त्र दीप आरती।
 

समुद्र-पाद-पल्लवे
विराट विश्व-वल्लभे
प्रबुद्ध बुद्ध की धरा
प्रणम्य हे वसुंधरा।

स्वराज्य-स्वावलंबिनी
सदैव सत्य-संगिनी
अजेय श्रेय-मंडिता
समाज-शास्त्र-पंडिता।

अशोक-चक्र-संयुते
समुज्ज्वले समुन्नते
मनोज्ञा मुक्ति-मंत्रिणी
विशाल लोकतंत्रिणी।

अपार शस्य-संपदे
अजस्त्र श्री पदे-पदे
शुभंकरे प्रियंवदे
दया-क्षमा-वंशवदे।

मनस्विनी तपस्विनी
रणस्थली यशस्विनी
कराल काल-कालिका
प्रचंड मुँड-मालिका।

अमोघ शक्ति-धारिणी
कुराज कष्ट-वारिणी
अदैन्य मंत्र-दायिका
नमामि राष्ट्र-नायिका।

- गोपाल प्रसाद व्यास


हर वर्ष 26 जनवरी एक ऐसा दिन है जब प्रत्‍येक भारतीय के मन में देश भक्ति की लहर और मातृभूमि के प्रति अपार स्‍नेह भर उठता है। ऐसी अनेक महत्‍वपूर्ण स्‍मृतियां हैं जो इस दिन के साथ जुड़ी हुई है। यही वह दिन है जब जनवरी 1930 में लाहौर ने पंडित जवाहर लाल नेहरु ने तिरंगे को फहराया था और स्‍वतंत्र भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस की स्‍थापना की घोषणा की गई थी।
26 जनवरी 1950 वह दिन था जब भारतीय गणतंत्र और इसका संविधान प्रभावी हुए। यही वह दिन था जब 1965 में हिन्‍दी को भारत की राजभाषा घोषित किया गया।
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"सभी राष्‍ट्रों के लिए एक ध्‍वज होना अनिवार्य है। लाखों लोगों ने इस पर अपनी जान न्‍यौछावर की है। यह एक प्रकार की पूजा है, जिसे नष्‍ट करना पाप होगा। ध्‍वज एक आदर्श का प्रतिनिधित्‍व करता है। यूनियन जैक अंग्रेजों के मन में भावनाएं जगाता है जिसकी शक्ति को मापना कठिन है। अमेरिकी नागरिकों के लिए ध्‍वज पर बने सितारे और पट्टियों का अर्थ उनकी दुनिया है। इस्‍लाम धर्म में सितारे और अर्ध चन्‍द्र का होना सर्वोत्तम वीरता का आहवान करता है।"


"हमारे लिए यह अनिवार्य होगा कि हम भारतीय मुस्लिम, ईसाई, ज्‍यूस, पारसी और अन्‍य सभी, जिनके लिए भारत एक घर है, एक ही ध्‍वज को मान्‍यता दें और इसके लिए मर मिटें।"


- महात्‍मा गांधी
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भारत के प्रथम राष्‍ट्रपति डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को 21 तोपों की सलामी के बाद भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज को फहराकर 59 वर्ष पहले भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्‍म की घो‍षणा की थी। अंग्रेजों के शासनकाल से छुटकारा पाने के    आठ सौ चौरान्यवें (894) दिन बाद हमारा देश गणतंत्र राज्‍य बना। तब से आज तक हर वर्ष राष्‍ट्रभर में बड़े गर्व और हर्षोल्लास के साथ गणतंत्र दिवस मनाया जाता है।


लगभग 2 दशक पुरानी यह यात्रा थी जिसे सन् 1930 में एक सपने के रूप में संकल्पित किया गया था और हमारे भारत के शूरवीर क्रांतिकारियों ने सन् 1950 में इसे एक स्वतंत्रता के रूप में साकार किया। तभी से धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राष्‍ट्र के रूप में भारत का निर्माण एक ऐतिहासिक घटना रही।


यह भी कहा जाता है कि 31 दिसंबर 1929 की मध्‍य रात्रि में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के लाहौर सत्र के दौरान राष्‍ट्र को स्वतंत्र बनाने की पहल की गई थी। इस सत्र की अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। उस बैठक में उपस्थित सभी क्रांतिकारियों ने अंग्रेज


सरकार के कब्जे से भार‍त को आजाद करने और पूर्णरूपेण स्‍वतंत्रता को सपने में साकार करके 26 जनवरी 1930 को 'स्‍वतंत्रता दिवस' के रूप में एक ऐतिहासिक पहल बनाने की शपथ ली थी। भारत के उन शूरवीरों ने अपनी लक्ष्य पर खरे उतरने की भरकस


कोशिश करते हुए इस दिन को स्वतंत्रता के रूप में सार्थक मनाने के प्रति एकता दर्शाई और भार‍त सचमुच स्वतंत्र देश बन गया। उसके बाद भारतीय संविधान सभा की बैठकें होती रहीं, जिसकी पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई, जिसमें भारतीय नेताओं और अंग्रेज कैबिनेट मिशन ने भाग लिया। भारत को एक संविधान देने के विषय में कई चर्चाएँ, सिफारिशें और वाद-विवाद किया गया। कई बार संशोधन करने के पश्चात भारतीय संविधान को अंतिम रूप दिया गया जो 3 वर्ष बाद यानी 26 नवंबर 1949 को आधिकारिक रूप से अपनाया गया।


इस अवसर पर डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद ने भारत के प्रथम राष्‍ट्रपति के रूप में शपथ ली। हालाँकि भारत 15 अगस्‍त 1947 को एक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र बन चुका था, लेकिन इस स्‍वतंत्रता की सच्‍ची भावना को प्रकट किया तथा 26 जनवरी 1950 को। इर्विन स्‍टेडियम जाकर राष्‍ट्रीय ध्‍वज फहराया गया और गणतंत्र के रूप में सम्मान देकर भारतीय संविधान प्रभावी हुआ। 

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